________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kalassagarsur Gyanmandir द्वादशपर्व कथा-संग्रह // 122 // एवं वीरेण कहियं, गोयमपमुहाण सव्वजीवाणं / सव्वे भावसमेया करति इगारसितवं च // 157 // TOसुव्रतश्रेष्ठी सुणिन्तु सुब्बयरिसिग कहाणयं, इगारसीराहणगं मणोमयं / कथा भव्वा! सयाराहणगा भवंतु, लहेउ रिद्धि तह मुक्खसुक्खं // 158 // // इति श्रीमौनैकादशीमाहात्म्ये श्रीसुव्रतश्रेष्ठिकथा समाप्ता / comconoccCURRECORRECRCccccc // इति श्रीद्वादशपर्वकथा-संग्रह समाप्तः // For Private and Personal Use Only