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दो शब्द
प्रिय पाठकगण ! स्वर्गीय पू० पा० साहित्यविशारद विद्याभूषण आचार्यदेव श्रीमद्विजयभूपेन्द्रसूरीश्वरजी महाराज सा० विरचित टीकायुक्त दृष्टान्तचतक ७ वें पुष्प तरीके प्रकाशित हो रहा है। आपके रचित ग्रंथ प्रकाशनार्थ आहोर (मारवाड़) में सं. १९९५ चैत्र दि २ को वर्तमानाचार्य पू० पा० व्या० वा० आचार्यदेव श्रीमद्विजययतीन्द्रसूरीश्वरजी महाराज आदि मुनिमंडलने एकत्रित हो 'श्रीभूपेन्द्रसूरिजैन साहित्य समिति' नामक संस्था कायम की, इस संस्थाद्वारा प्रकाशित होनेवाले ग्रंथों के संशोधन तथा प्रकाशनकार्य संपादन करने के लिये पू० पा० उपाध्यायजी श्रीमान् गुलाबविजयजी, मुनिराज तपस्वी विजयजी मुनिराज श्रीहंसविजयजी, और मुनि श्री कल्याणविजयजी इन चार मुनिवरों की नियति की गई। समिति के कायम होजानेपर समितिने सद्गत पू० पा० आचार्यश्री के रचित-ग्रंथ संशोधन तथा प्रकाशन का कार्य प्रारम्भ करदिया है । अतः शनैः २ पाठकवर्ग के हाथों में आपश्रीके द्वारा रचित ग्रंथ क्रमशः प्रकाशित होकर पहुँचते रहेंगें और पाठकवर्ग भी त्रुटियों को सुधारकर सद्गत आचार्यदेव तथा समिति के मुनिवरों का परिश्रम अपनाकर सफल करेंगें ।
निवेदिका — श्री भूपेन्द्रसूरिजैन साहित्य संचालक समिति
मु० पो० आहोर ( मारवाड़ )
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