________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्सर्ग प्रकरण 113. पापद्धि शब्दना बीजा पकारनो र थाय छे. पापद्धिः= पारधी = ॥२वी. 114. युष्मद् शब्दना य नो त थाय. युष्मादृशः = तुम्हारिसो = तभाशसो 115. हरिद्रादि शब्दोमां असंयुक्त र नो ल थाय छे. हरिद्रा - हलद्दा = स. 116. यष्टि शब्दमां यनो ल थाय छे. यष्टिः= लठि = थाही. 117. स्वम शब्दना व नो म थायं छे. स्वमा सिमिणो = सम[. 118. भाजन शब्द अने राजकुल शब्दना सस्वर जनो लोप थाय छे. भाजनं = भाणं = मा. राजकुलं = राउलं = 15. 119. उदुम्बरक शब्दनो दु लोपाय छे. उदुम्बरकः= उम्बरडो =6भरी.. 120. चत्वर शब्दमां त्वनो च थाय छे. चत्वरं = चच्चरं = याय२. 121. स्त्रीलिंगे आकारांत नाम कहि ईकारांत थाय छे. रक्ता = रत्ती = राती. धवला = धोली = धोती. लंबा = लंबी = लांमी. वक्रा = वंकी = वां सारा = सारी = सारी. 122. संस्कृतमा व्यंजनांत शब्द होय छे तेनो प्राकृतमा छलो व्यंजन जाय छे. षट् = छ = छ. जगत् = जग = ग. मनस = मन = भन. शिरस्- सिर = सि२. हेमचंद्र कविकृत प्राकृत भाषानुं व्याकरण छे तेमाथी आ उपर लखेंला उत्सर्ग कहाड्या छे ते वांचतां संस्कृतना अपभ्रंश आ रीतिए थाय छे ते जणाय छे. For Private And Personal Use Only