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Acharya Shri Kalye
Turi Gyanmandie
श्रीदे०
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गुणसागरकथा
चैत्यश्रीधर्म०संघाचारविधौ| ॥३५२॥
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देसे २ तहिं २ बहुला पउमवरपुंडरीया बुइआ अणुपुन्बुट्ठिया १ ऊसिया २ रुइला ३ वनमंता ४ गंधमंता५ रसमंता ६ फासमंता ७ पासाईया ८ द ९ अ१० पडिरूवा ११, तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगे महं पउमपरपुंडरीए बुइए अणुपुन्युट्ठिए जावपडिरूवे १२,अह पुरिसे पुरिच्छिमाउ दिसाओ आगम्म सं पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एगं पउमवरपुंडरीयं अणुपुन्बुष्ठियं जाव पडिरूवं ११, तएणं से पुरिसे एवं क्यासी-अहमंसि पुरिसे खेयन्ने १ कुसले२ पंडिए ३ वियत्ते ४ मेहावी५ अबाले ६ मग्गत्थे७ मग्गबिऊ८ मग्गस्स गइपरकमण्णूर अहमेयं पउमवरपुंडरौयं उनिक्खिविस्सामित्तिकदु इहागतः,इय वच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणिं जावं जावं च णं अभिकमेण-सदवतरणाभिप्रायेण भवे तावं च णं तीने पुस्खरिणीए महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपुंडरीयं नो हव्वाए नो पाराए, किंतूभयभ्रष्टो मुक्तोलीवदनायैव प्रभवति, अंतरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसन्ने पढमे पुरिसजाए। अहावरे दुच्चे पुरिसजाए, अह पुरिसे दाहिणाए आगम्म तं पुक्खरिणिं तीसे | पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासइ तं महं एगं पउमवरपुंडरीयं अणुपुबुट्टियं जावपडिरूवं,तं च इत्थ एगं पुरिसं जाव पासइ ५ पहीणतीरं अपत्तं पउमवरपुंडरीयं नो हब्बाए नोपाराए, पासइ अंतरा पुक्खरिणीए सेयंसि निसन्न, तए णं से पुरिसे एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसे अभिक्कमे पुक्खरिणिस्स गइपरक्कमण्णू ९ जण्णं एस पुरिसे एवं मण्णे, अहमसि पुरिसे खेयण्णे ९ जाव अहमेयं पउमवरपुंडरीयं उन्निक्खि विस्सामि,नो य खलु एयं पउमवरपुंडरीयं एवं उनिकखेवेयव्वं जहाणं एस पुरिसे,मन्ने अहमंसि पुरिसे खेयण्णे जाव परक्कमण्णू९ अहमेयं पउमवरपुंडरीयं उन्निक्खिविस्सामि इय वुच्चा से पुरिसे अभिक्कमे तं पुक्खरिणिं जाव सेयंसि | निसन्ने,दुच्चे पुरिसजाए । अहावरे तच्चे पुरिसजाए, अह पुरिसे पच्चच्छिमाओ दिसाउ आगम्म तं पुक्ख जाव पासइ तं महं पउम०
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