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________________ Shri Ma n Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsparsori Gyanmandir M पुष्कलाकथा श्रीदे चैत्यश्री धर्म० संघाचारविधी ॥१२६॥ milamERAPI समक्खं अवमन्नणयं अबहुमाणो ॥३१॥ अह भणइ पह मेवं संखं हीलह तुमे जओ एसो। पियधम्मो ददधम्मो जग्गेइ सुदक्खुजागरियं ॥३२।। "भंतेत्ति भगवं गोतमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति,वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-कतिविहा णं भंते! आगरिया पण्णत्ता?, गोयमा! तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तंजहा-बुद्धजागरिया अबुद्धजागरिया सुदक्खुजागरिया, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तंजहा-बुद्धजागरिया३ १, गोयमा!जे इमे अरहंता भगवंता उप्पण्णनाणदंसणधरा जहा खंदए जाव सबन्न सबदरिसी एते णं बुद्धा बुद्धजागरियं जागरिति, जे इमे अणगारा भगवंतो ईरियासमिया ५ मणसमिया३ मणगुत्ता३ गुत्ता गुतिंदिया जाव गुत्तभयारी एए णं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरिंति, जे इमे समणोवासया अभिगयजीवाजीवा जाव विहरंति, एए णं सुदक्खु जागरियं जागरिंति, से तेणडेणं गो० एवं वुचइ तिविधा जागरिया बुद्धजा. अबुद्धजा० सुदक्खु जागरिया" तो संखो संखो इव महुरसरो भणइ कोहपमुहवसा । किं पहु ! बंधइ जीवो ! सगट्टकंमलवमाह पहू ॥३शा इहागमः-'तए णं से संखे समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीकोहवसहेणं भंते ! जीवे किं बंधति किं पकरोति किं चिणाइ किं उवचिणाइ १, संखा ! कोहवसद्दे णं जीवे आउयवजाउ सस कम्मपयडीउ सिढिलबंधणबद्धाउ धणियबंधणबद्धाउ पकरेइ हस्सकालहिइआओ दीहकालठिइयाश्रो पकरेइ, मंदाणुभावाओ तिवाशुभावाश्री पकरेइ,अप्पपएसग्गाओ बहुप्पएसग्गाओ पकरेइ,उअंचणं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ,असायावेयणिज्ज चणं कम्मं भुज्जो भुज्जो उवचिणाइ, अणाइयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टइ, एवं मानमायालोभवसहावि" । इय मोउ ते भीया गयमिनिसा नमंति वदंति । खामति अविणयपरा संखं संखं व सुपवितं ।। ३४ ।। अह नमिय UMITRATHIMATHA LINRAINITAL SEMINAR HAPali DAINIK HPAHIMANITATIHA RANCHIMMAMRITIEWHIN TA For Private And Personal
SR No.020306
Book TitleDevvandanbhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1938
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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