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________________ IFALL Shri Me in Aradhana Kendra Acharya Shri Kaila s श्रीदे० MARATI Gyanmandir नषेधिक्यां भुवनमल्ल चैत्यश्रीधर्म संघाचारविधौ ॥४५॥ www.kobalith.org | कुमरो इह अवसरे पत्ते ॥१४११ सञ्जीकयधम्मगुणो अंतरमह लहिय मुक्कअसमसरो । राहावेहं माहइ गंठीमेयं व भवजिओ ॥४२॥| जयतालादाणपरे जणमि कुमरेण हहतुहमणो। तो सिरिसेगनरिंदो परिणावइ रयणमालं तं ।। १४३ ॥ कयसम्माणं अन्ने | नियनियठाणे निवे विसज्जेइ । कुमरोऽवि कइवि दिवसे सुहेण तत्थेव ठाऊण ॥१४४॥ सिरिसेणनिवमणुनविय बहुयपरिवारपणइणीसमेओ । पत्तो नियंमि नयरे पिऊण पणमेइ पयपउमं ॥१४५॥ भुत्तुत्तरं व सीहो कुमरवयंसो कहेइ सबंपि। रण्णो जं जहवित्तं ता जाव इहागओ कुमरो ॥१४६॥ धम्मत्थिणा अह निवेणाहूआ कयाइ सबदसणिणो । पुट्ठा धम्म तेहिं कहिए चिंतइ इमं राया ॥१४७.। जत्थ न विसयविराओ न संगचाओ जिएसु विणिवाओ। किह हुन्ज सोवि धम्मुत्ति चिंतिउं ते विसज्जेइ ॥ १४८॥ कहइ कुमारो इच्छा धम्मे जइ ताव ताय ! जइणोऽवि । ता पुच्छह मुणिणो रक्खियंगि गयसंग जियणंगा ॥१४९।। निवआएसा तो वित्तिणा उ खुड्डो समाणियो एगो । स निवेणुत्तो खुड्डय ! जइ धम्म मुणसि ता कहसु ।। १५० ॥ तो सो अक्खुहियमणो धम्मरहस्सं इमंति भणमाणो। सुक्कल्लमट्टिगोलयदुगं निवग्गे खिवइ कुड्डे ॥१५१।। राजा-खुड्डय! इय खिडेमी धम्मरहस्सं न किंपि बुज्झामो । क्षुल्लका-नरवर! ता एगमणो सुण भणिय जमिह गोलेहिं ॥१५२|| उल्लो सुक्कोय दो छुढा,गोलया मट्टियामया। दोऽवि आवडिया कुड्डे, जो उल्लो सो विलग्गई ॥१५३।। एवं लग्गति दुम्मेहा, जे नरा कामलालसा । विरत्ता उ न लग्गति, जहा से | सुक्कगोलगो।।१५।। विम्हइयमणो निवई मुणिसत्तम अतम सु? उवइ8 । इय थोऊणं तह नमिय खुड्यं तो विसजेइ॥१५५।। अह पीयदिणे राया रजं दाऊण भुवणमल्लस्स । सिरिअभयघोसगुरुणो पासे दिक्वं पवजेइ ।।१५६।। हेमप्पहरायरिसी दुवालसंगी सुपत्तमरिपओ । बोहइ रविध वनुहासरसीए भवियसरसीरुहे ॥१५७।। अह निवा भुवणमल्लो पयावओ चेव विजियरिउमल्लो । साहम्मि HimalTINARIANSnilm For Private And Personal
SR No.020306
Book TitleDevvandanbhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1938
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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