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________________ Shri Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shei Kailash Gyanmandir श्रीविजयनृपकथा श्रीदें - त्यश्रीधर्म संघाचार विधौ ॥१०॥ जायदया तं पभणति रुयसु मा तत्थ जाउ तुह पुत्तो। तुह पासे आणिजामु रक्खससगासाओवि इमं ।। ६७ ।। इन ववत्थालोवुत्ति भणइ सा साहु साहु हे देवा! । जा ताव सया रक्खेहि रक्खसस्सऽप्पिओ नेव ॥६८॥ जा भक्खिस्सइ तं सो अवहरिउ तेहिं | अपिओ ताव । तीह जणणीऍ तीइवि भीयाइ भयं नियंतीए ।। ६९ ।। संगोविओ गुहाए गसिओ मो अयगरेण तत्थ ठिओ। तम्हा न भवनासो एयस्स भवे कहिंवि कथविय ॥७०।। नवरं इमो उवाओ अरिहाईपूअणाइयं धम्म । सबे करेह जंसो तुरिअं अवहरइ कुणइ सुई।।७१॥ भणिअंच-"गहपीडामारीदुनिमित्तदुस्सउणपमुहदोसगणा। अरिहाइवंदणाहिं नूणं सिग्धं उवसमंति॥७२॥" तथा-सवे नाव पमत्था सुमिणा सउणागहा य नवत्ता। तिहुअणमंगलनिलयं हिअपण जिणं वहंताणं ॥७३॥ मंती भणइ चउत्थो एमेव इमं परं इहऽन्नपि । जत्तरं विहिजउ जत्तबहुत्ते हि नहु दोसो।।७४||ता सत्तदिणे अनो ठाविजउ अहिवई इई तत्थ । अमणिनिवाए दुरिअंजाइ खयं जेण लहु पहुणो॥७५।। किंच-नेमित्तिणावि इमिणा पोअणपुरअहिवइस्स उबरािम्म । भणिओ असणिनिवाओ न उणो सिरिविजयनरनाहे ॥७६।। भणइ निमित्ती मंतिवर! ते मई मह निमित्तओ अहिया। ता लहु कुण कजमिणं चिट्ठर राया स धम्मपरो ।।७७॥ जंपइ निवई संपइ जो गजे सिञ्चए अहह तस्स । पाणविणासं चिंतेमि निरवराहस्स कह महयं?।।७८|| जओ-आसक्काओ आकीडयाओ पाणीण दुचया पाणा । तो कह नरमरणकरंति जुजए मह इमं काउं?॥७९॥ अविश्र अनेमि पाणीणं ताणकरणिकमवया गरुआ। अम्हे उ कह मजीविअकए परं पाणिणं हणिमो।।८०॥ युवराजा-आत्मानं सर्वतो रक्ष्य, प्राहुर्धमविदो जनाः। यदिदं चैव शरीरं, धर्मास्याद्यं हि माधनम् ।।८१॥ जीवन् भद्राण्यवानोति, जीवन् पुण्यं करोति च । मृतस्य देहनाशोऽस्ति, धर्मव्युपरमस्तथा ।। ८२ ॥ इय जुत्तिजुनमुत्तोऽवि गहा जा न मनइ निवो सो। ता विनवह For Private And Personal LISTHAN HalNUAR KUSHILITARTIMIL ॥ १०॥
SR No.020306
Book TitleDevvandanbhashyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendrasuri, Dharmkirtisuri
PublisherRushabhdev Kesarimal Jain Shwetambar Sanstha
Publication Year1938
Total Pages560
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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