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( ९ )
अरिहंते कित्तइस्सं, - तीर्थंकरों की मैं स्तवना करूंगा, चवीस पि केवली । चोवीसों तीर्थंकर केवलज्ञानी और सर्वज्ञ हैं ||१||
उसभमजियं च वंदे, -- श्री ऋषभदेव और अजितनाथ प्रभु को वन्दन करता हूँ,
संभवमभिणंदणं च सुमई च । संभवनाथ, अभिनन्दननाथ और सुमतिनाथ प्रभु को और पउमपहं सुपासं, - - पद्मप्रभनाथ, सुपार्श्वनाथ प्रभु को, जिणं च चंदष्पहं वंदे । - रागद्वेष को जितनेवाले चन्द्रप्रभस्वामी को वन्दन करता हूँ ||२||
सुविहिं च पुष्कदंतं, - और सुविधिनाथ जिनका दूसरा नाम पुष्पदन्त भी है उनको,
सीयलसिज्जंस वासु पुज्जं च । -- शीतलनाथ, श्रेयांसनाथ और वासुपूज्यस्वामी को
विमलमणतं च जिणं, -- विमलनाथ और अनन्तनाथ जिनेन्द्र को,
धम्मं संतिं च वंदामि । -- धर्मनाथ और शान्तिनाथ स्वामी को मैं वन्दन करता हूँ ||३||
कुंथुं अरं च मल्लि, - - कुंथुनाथ, अरनाथ और मल्लिनाथ, वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च । - - जिनेश्वर मुनिसुव्रत
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