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एवमाइएहिं आगारेहिं--इत्यादि आगार रूप अपवाद
. कारणों से अभग्गो अविराहिओ--अभंग और विराधना रहित हुन्ज मे काउस्सग्गो--मेरा कायोत्सर्ग हो जाव अरिहंताणं भगवंताणं--जब तक अरिहंत भग
वन्तों को नमुक्कारेणं--नमस्कार से अर्थात् 'नमो अरिहंताणं'
गिन कर न पारेमि--कायोत्सर्ग नहीं पारु-पूर्ण न करूं ताव कायं-तब तक अपनी काया को ठाणेणं--स्थिर रख कर मोणेणं--मौन रह कर झाणेणं--ध्यान धर कर अप्पाणं वोसिरामि--अपनी काया को अशुभ व्यापार
से अलग करता हूँ-चोसिराता हूँ।
८. लोगस्स-सुतं । लोगस्स उज्जोअगरे,--स्वर्ग मर्त्य और
लोक में प्रकाश करनेवाले, धम्मतित्थयरे जिणे---धर्मतीर्थ की स्थापना करनवाले
और राग द्वेष को जीतनेवाले
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