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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १० विलेपन पीठी, चन्दन, केर, तेल आदि शरीर पर लगाने और मसलने की चीजों का प्रमाण या गिनती करना । ११ ब्रह्म-रात्रि या दिवस में अपनी स्त्री से मैथुन सेवने का प्रमाण करना और कुदरत विरुद्ध या लोकनिषिद्ध मैथुन का सर्वथा त्याग करना । १२ दिशि-पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण, विदिशा, ऊंचे, नीचे, इनमें गाँव, ग्रामान्तर जाने आने का कोशप्रमाण करना। १४ भक्त-भोजन के योग्य जो जो वस्तु खाने में आवें उनका वजन प्रमाण अलग अलग या शामिळात करना । (१) असि-तरवार, छुरी, कटारी, कतरनी, सरोंता, गेती, कुहाड़ी, तमंचा, चक्कू, चीपिया, सई, चिमटा, मूसल हलवानी आदि शस्त्रों की गिनती एवं प्रमाण करना । (२) मसी--सर्वजात की श्याही, दवात, कलम, पेंन्सिल, होल्डर, सिलेट, पट्टी, चोपडा, नोट पेपर, कागद आदि वापरने का प्रमाण करना । (३) कृषि--खेत, घर, हाट, हवेली, टांका, तलघर तालाब, कुआ, बावडी, होद आदि बनवाने और बगीचा, खेत बोने,झाड रोपने, जंगल व घास कटवाने आदि काप्रमाण करना-कराना। ऊपर लिखे मुताबिक सांझ सवेरे दोनों वख्त For Private And Personal Use Only
SR No.020303
Book TitleDevasia Raia Padikkamana Suttam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantvijay
PublisherAkhil Bharatiya Rajendra Jain Navyuvak Parishad
Publication Year1964
Total Pages188
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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