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(१३०) चैत्र सुदि त्रयोदशी का दिवस था आया, जन्म ले प्रकाश दिया जग को जगाया, पाठ अहिंसा का दिया दूर की बिमारियां ।-जग में० २ अशांति जो छाई थी, दूर हो गई सारी, मूक प्राणी मर रहे थे, यज्ञ में भारी, महावीर ने संदेश दे, हटाई आतताईयां ।-जग में० ३ पंचशील सिद्धांत दिया वीर ने प्यारा, सत्य अहिंसा से किया जग में उजारा, उसी से ही झूम ऊठी, मनकी बाडियां ।-जग में० ४ त्याग करो चोरी का व ब्रह्मव्रत धार लो, तृष्णा से ही दुःखी होना सब निहार लो; सुखी बनने सुखी, रखो येही गवाहियां । - जग में० ५ 'राजेन्द्र' महावीर की जयन्ति मनाये, जग में 'जयन्त' बीर की जयजयकार लगाये शांत होगी युद्ध की चिनगारियां । जग में. ६
७३. नमस्कारमन्त्रधून । ओम् नमो अरिहंताणं, भजो नमो अरिहंताणं, आतमरिपु पर विजयी, हो गये परमातम । ओम् नमो० १ कर्म कठोर हटाकर के जो, पाये आनन्द, प्रभु० । अखिलानन्दी प्यारे, श्री नमो सिद्धाणं । ओम् नमो० २
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