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( १०३ )
पाठ कहना और स्त्रियोंको 'संसारदावा श्लोक बोलना |
का तीन
फिर 'नमुत्थुणं' कह कर ' इच्छाकारेण० स्तवन भं ? इच्छं ' बोल कर स्तवन कहना । फिर ' वरकनक, ' कह कर खमासमण पूर्वक 'भगवान् हं' आदि पाठ कहना फिर जिमना हाथ चरवला या आसन पर थाप कर 'अड्ढाइज्जेसु० ' कहना ।
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बाद खडे होकर ' इच्छाकारेण० देवसिअ पायच्छित्तविसोहणत्थं काउस्सग्ग करूँ ? इच्छं देवसिअ पायच्छित्तविसोहणत्थं करेमि काउस्सग्गं अन्नस्थ० ' कह कर चार लोगस्स या सोल नवकार का कायोत्सर्ग करके ' लोगस्स ० ' कहना | फिर 'इच्छामि खमा० इच्छाकारेण० सज्झाय संदिसाउं ? इच्छं, इच्छामि खमा० इच्छाकारेण० सज्झाय करूँ ? इच्छं' कह कर एक नवकार गिन कर ' सज्झाय ' कहना । फिर एक खमासमण देकर ' इच्छाकारेण० दुक्खक्खय कम्मक्खय निमित्तं काउस्सग्ग करूं ? इच्छं, दुक्खक्खय कम्मक्खय निमित्तं करेमि कासगं अन्नत्थ० ' कह कर संपूर्ण चार लोगस्स या सोलह नवकार का कायोत्सर्ग करके पार कर 'लोगस्स ० ' कहना | फिर 'इरियात्रद्दि ० ' कर नीचे बैठकर "चक्कसाय०' नमुत्थुणं, जावंति ०, इच्छामि खमा०, जायंत.