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(९२) ५०. देसावगासिय का पच्चक्खाण । देसावगासियं उवभोग परिभोग पच्चक्खाइ। अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं महत्तरागारेणं, सबसमाहिवत्तियागा. रेणं वोसिरह।
५१ पाणहार का पञ्चक्खाण । पाणहारदिवसचरिमं पच्चक्खाइ । अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, महरागात्तरेणं, सव्यसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरइ ।
५२. सांझे चोविहार का पच्चक्खाण । दिवसँचरिमं पच्चैक्खाइ चउविहं पि आहारं-असणं, पाणं, खाइम, साइमं, अन्नत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं, वोसिरइ ।
५३. संध्या तिविहार का पच्चक्खाण। दिवसचरिमं पच्चक्वाइ । तिविहं पि आहारं-असणं,
१ प्रातःकाल चौदह नियम विचार कर रखनेवालों के लिए यह पच्चक्खाण सदा लेने का है। २ तिविहारोपवास, आयंबिल, नीविगइ, एकासणा और बियासणवालों को सांझे यह पच्चक्खाण लेना ।
३ थोड़ा आयु बाकी रहने पर यदि चार आहार का त्याग करना हो तो इस पद के ठिकाने । भवचरिम ' पद कहना । ४ स्व ही पच्चक्खाण पाठ लेना हो ' पच्चक्खामि । सभी प्रत्याख्यानों में बोलना । तिविहार आर दुविहार पच्चक्खाण का अधिकारी वही है जो बियासणा एका
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