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(८३) गयसुकुमालो अवंतिसुकुमालो ।-गजसुकुमालजी,
____ अवन्तिसुकुमालजी, धन्नो इलाइपुत्तो-धन्नासेठ, इलाचीपुत्र, चिलाइपुत्तो अ बाहुमुणी।--चिलातीपुत्र और युगबाहु
मुनि ॥ ४ ॥ अज्जगिरी अजरक्खिअ–आर्यमहागिरिजी, आर्य
रक्षितमूरिजी, अन्जसुहत्थी उदायगो मणगो ।-आर्यमुहस्तिसूरिजी,
उदायनराजा, मनकपुत्र, कालयसूरी संबो----कालिकाचार्य, शाम्बकुमार पज्जुण्णो मूलदेवो अ । प्रद्युम्नकुमार और मूलदेव
राजा ॥५॥ पभवो विण्हुकुमारो--प्रभवस्वामीजी, विष्णुकुमारजी, अदकुमारो दढप्पहारी अ ।--आर्द्रकुमारजी, और दृढ
प्रहारी, सिज्जंस कूरगडू अ—श्रेयांसकुमारजी और कूरगड-मुनि, सिज्जंभव मेहकुमारा अ।--शय्यंभवस्वामीजी तथा मेघ
कुमारजी ॥६॥ १ दत्त नामक प्रधान राजा को सच्ची बात कहनेवाले १, चौथ की संवत्सरी स्थापना करनेवाले २, और गर्दभिल्ल राजा के चंगुल से उनको सा देकर सरस्वती साध्वी को छुड़ानेवाले ३, ये तीन कालिकाचार्य हुए हैं।
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