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ताको भ्राता सोय मारन हेत उपाई ।
सोबत है इह जानन दई सु लागाई ॥ ४ ॥ जो वह जरै कुमार प्रान तजै सु बनाई । तौ मुनिको प्रहार फिर देवै कोउ नाहीं ॥ दान की महिमा जाय फिर जु रहे नहिं कोई। ता हु बचाय मरन न पावें दोई ॥ ५ ॥ इन्द्र हुकुमतें देव चालो सु ततछन धाई । कूदो महलमैं सोय कुमर पास तब जाई || सुरने झटकी बांह आप गुपत जाई । कुमर त्रिया अब दोय तहँ जु उठे भहराई ॥ ६ ॥ देखें दृष्टि पसारि चारों ओर सोई । धुनके उठे पहार अनि प्रचंड जु होई ॥
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