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नमः सिद्धयः। सँघई भारामल कृत
अथदानकथाप्रारभ्यते।
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सवैया तेईसा । देव नमौ अहंत सदा अरु सिद्ध समूहनकौं चितलाई । सूर अचारजकौं प्रनमो प्रनमो जु उपाध्यायके नित पाई॥ साधनमों निग्रंथ मुनी गुरु परम दयाल महा सुखदाई । जे पंच गुरू जगमैं सुनमों जिनके सुमिरे भव ताप नशाई॥१॥
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