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कूच करो तहत अब सोय । दिन अरुरातिगिनैनहिंकोय ॥६॥
चलत चलत जब कछु दिन गए । धारापुरमैं पहुँचत भए । हा पहिले श्रीजिन मंदिर जाय । वरकन्याकौं धोक दिवाय ॥७॥ ही वसु विधि पूजे श्रीजिनचंद । जाते कटें करमके फन्द ।।
फिर घर मैं बहु लीनी सार । जुवती गावें मंगलचार ॥७॥ है। जाचक जनकों दान सु दयो । सज्जनको सनमान सु लयो॥
इस विधिसों घर आये सार । अनंद बधाए होत अपार ॥७२॥ दोहा-इस विधिसों अब व्याह करि , निजघर आए सोय ।
और कथन प्रागें सुनो , जो कछु जैसो होय ॥७॥ जेठो लघु दोनो कुमर , व्याहि लए सुखकार । और कथन आगे भाविक , सुनो सबै विस्तार ॥७॥
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