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[ 83 ] 4310 ( IX)
चंदविज्जग पइन्ना Camdavijaga Painni
The Ms begins Fol 63a. तंदुलवेयालिया पइन्नगं जो विचितई महप्पा इह परलोए
सोभो वसल्लुद्धरकारण लहइ सिवसुक्खा ॥ श्रीभद्र भवत्त संघस्य जगमयच्चयाण विय सपवरनाणं दसण
धराणं नाणुज्जेयगराणं लोगंमि नमो जिनवराणं ॥ The Ms ends Fol 7ıb. न विमायान विय पियान वंधवान वि पयाइ मित्ताइ पुरिसस्स
मरणकाले ण हंति श्रालंवलवण किंचि । न हरितं वादासोदा ++
4310 (X)
समाधिमरण पइन्ना Samadbimarana Painnā
नमय
The Ms begins Fol 73a. खालं ॥ भाउम्वेय समत्ता तिगछए जह विसारक विजरा पायंकागहि ऊसो
निभयं आउर' कुणइ । एव पवयणमुराण सुयसारपारगो सो चरित्तवुद्धीए पायछित्त विहत्तुणं
अणंगार विसोहइ ॥ The Ms ends Fol 99b. णाणिय अण्णाणिय माणूस्से वहुविहाणि पञ्चक्ख पिक्ख'तो को ण मरइ त
विचितितो ॥ लसुद्धण विमाणसं दुल्लह केइ कम्मदोसेण सायासुहमणुरत्ता
__ मरणसमुद्दे विगाहिति ॥ A Set of Painnās has been edited in Āgamodayasamiti Series, Samvat 1983; Another Edition with Causarana. Āurapaccākkhana,
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