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[ 79 ] The Ms ends Fol
एवं सोयं सरीरस्स वासाणं गणिय पाउमहच मुक्ख पउमस्स इहह समत्तसहस्सपत्तस्स ॥ एवं गड़शरीर जाइजरामरणवेयणा बहुलं ।
तमहत्तप्पहउँ जे जह मुचह सव्वा दुखाण ॥ COLOPHON.
इति श्री तंदूलवेयालिय पन्नग समाप्तानि । The work has been edited in the Ā gamodayasamiti series and Sethadevacandalalabhaijainapustakoddbāra series, Bombay 1922.
4310 (II) देविंद तथव पइन्ना Devimdatthava Painna The Ms begins Fol 17b.
अमर नखंदि एवं हि उण उसभाइ जिणवरं देवीरवर पचमं ते तिलुकगुणगुणइन्नो कोइ पढ़मपउसं मिसावउस
निच्चविहन्नु वेयधूयसुवारं ॥ The Ms ends Fol 31b.
जेसिं सया थुवंता सव्वेइय पवर कित्तोया तेसिं सुराय सुरगुरू सिद्धासिद्धिं उवविहौंतु ॥ भो मिच्छवणवराणं जो इसियाण
जो इसियाण' विमणवासीण देयनिकायनिघउ ॥ COLOPHON. इह समत्तो अपरिसेसो देवेंद चउ समत्तो।
4310 (111) गणिविज्जा पइन्ना Ganivijja Painni The Ms begins Fol 31b.
वुच्छ वलावलविहिं नववलविहिमुत्तमं वि उपसच्च॥ जिभवण भासियमिण पवण सच्चमि जह हिद्ध ॥
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