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[ 262 ] COLOPHON OF THE Ms
इति भक्तामरस्य मंत्रसहितटीका संपूर्णा जातास्ति ।
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7366 भक्तामररिद्धमंत्र
Bhaktāmarariddhamamtra
Substance : Countrymade Paper; Size : 9 in by 4} in; Foll : 13: Eleven to Twelve Lines in a Page ; Character : Jaina Devanāgari ; Appearance : discoloured ; Complete.
The Bhaktāmarariddhamamtra with a Commentary in Rajasthani. The Ms begins Fol sb.
श्रीजिनाय नमः। अथ भक्तामररिद्धमंत्रविधगुण लिषत ॥ भक्तामरप्रणितमौलमणिप्रभाणा। मुद्योतकं दलितपापतमोवितानं । सम्यक् प्रणम्य जिनपादयुगं युगादा। वालंबनं भवजले पतितां जनानं । ॥ अथ रिद्ध ॥ ॐ ह्रीं अहं णमो णमो अरिहंताणां नमो जिनानां हां ह्रीं ह्र हौ ह। असिया उसा अप्रतिचक्रे कटु विचाक्राय नौं ग्रौ स्वाहा ॥ अथ मंत्रा उ ह्रां ह्रीं ह्र श्रीं क्लीं क्लू' को उ ह्रीं नमः ।। अथ विधगुण ॥ ए काव्यमंत्र पडवातै जपवातै सर्वसिद्ध भवती। सकल संपदा लाभ करै ॥ काव्य ॥ यं संस्तुतसकलवाङ्मयतत्त्वबोधा। दुद्भूतबुद्धपटभीसुरलोकनाथैः । स्तोते जगत्तितयचित्तहरैरुदारैः। स्तोष्ये किलाहमपि तं प्रथमं जिनेंद्रं ॥ अथ रिद्ध ॥
ॐ ह्रीं श्री क्लो व्ल नमः ॥ गुण ॥ य काव्यमंत्र जपवानै न जरबंध होइ । दिन । २१ । अथ वार । १०८ । नित्य जपजैः स्याहमालाः सेति शत्रुक्षय होइ। पणयो कार्ज करवो जोग नही छैः कदै हीन करनोः ॥ The Ms ends Fol 13a.
___ व वासमुपति लक्ष्मीः ॥ अथ रिद्ध ॥ ॐ ही अहं नमो वंदो महावीरं वर्द्धमानं ॥ ह्रां ह्रीं ह्र हौं हः ॥ असिया उसा ह ह ॥ खहा ॥ मंत्र ॥ उनसो वंभचेरधारणस्य अठारहसहससीलांगरथधरणेभ्यो नमः ॥ खहा ॥ ऐ अडतालीमा काव्यमंत्रजपवातें पढ़वतै। सर्वसिद्ध होई। मनको चिंत्यो कामसिद्ध होइ। जेनै वसकी यो चाहिजे। तेको नाम मनमैं धर जाप कीजै। सो वस सदां रहै । महांस प्रभावीकः ॥
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