________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4 अप्सरानो कुटुंब सहित, विमानमां बेशीने न्याळेछे, अने शंखनाद थयां करेछे.२५ | ॥श्लोक // सर्वेषांपश्यतांतावद्धर्मराजोस्वबांधवान् // ज्वाचसमरेनूयोवचनंजनमे | जय // 26 // टिका. सर्वना सांभळतां संग्रामने विषे, पोताना बांधवो प्रति वारंवार बोलता हवा. युधिष्टिरउवाच॥हवे युधिष्ठिर शुं बोलताहवा, श्लोक॥ शृणुतांनोनृपाःसर्वेया दवायुधिनिर्भयाः॥येषांक्रष्णोसदारक्षांकरोतिभ्रातरोमम // 27 // टीका. हे राजाओ सांभळो,श्रा यादवो युद्धने विषे निर्भयछे, एटले भय विनानो छे, कारण के कृष्ण जे नुं निरंतर रक्षण करे छे, तेने भय शांनो होय.. ॥श्लोक ॥रणश्चक्रियतांचात्रसर्वैश्चयदुपुंगवान् ॥वदतांविजयोकार्यःयेनस्वर्गेस खंभवेत् ॥२८॥टिका. माटे करीने यादवना पुत्रो साथे एवो संग्राम करो के गमे ते प्रकारे विजय थाय; जितोतो श्रा लोकमां यशछे, एम करतां जो हारशो तो स्वर्गना सुखने मळशो एमां कांइ संदेह नथी. 28 भीमन्वाच॥ एम सांनळीने भीमसेन बोलता हवा.॥ श्लोक // कस्मात्त्वंचमहा राजभयंप्राप्यसिसंग।यादवान्प्रतियोधारंजानिदीमांसदाभटं॥२९॥ टिका. हे धमराज, हे बांधव, तमे संग्राममां क्यम भय पामोछो, यादवनी प्रत्ये लडवाने हूं निरं For Private and Personal Use Only