________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir www.kobatirth.org / तटे // 23 // टीका-ते समयने विषे प्रभात समयमा कृष्ण बांधवा जे सुभद्रा तेतो, / हजार घेनुनुं दान आपवा माटे झान्हवीना तृट उपर आव्यां छे. 23 ॥श्लोक।अभीमन्युसुतोतस्याःनववर्षोमहाबलः॥शतदासीभिसंयुक्तारथारोहा ददर्शह // 24 // टीका-अने तेनी साथे अभिमन्यु पुत्र नव वर्षनो बाळक बळवान् | रथ हाके छे, तथा सोतो दाशीश्रो छे. 24 ॥श्लोकास्किारप्रतिप्रोवाचसुभद्राससुतानृप // पश्पपश्पनरंकंचिदश्वनीसहिता व्रते॥ किंचिदुःखेनसंतप्तोदग्धुमिछतिकिंकरि // 25 // टीका-हे नृप हे जन्मेजय, ते। समयने विशे सुभद्रा पोतानी दाशीने केहे छे जे, जो जो आ कोण पुरुष अश्वनीयुक्त, अग्नी समीप व” छे, अने ते शा दुःखना कारणथी बळी मरवू इच्छेछे. 25 ॥श्लोक॥ तस्यावचनमाकर्ण्यगताराज्ञोसमीपतःप्रणम्यडांगवंदासीवचनंदम ब्रवीत् // 26 // टीका-ते सुभद्राजीनुं वचन सांभळीने कीकरी जे दासी तेतो डांगव राजा समपि जइने प्रणाम करती सती बोलती हवी. 26 ॥दास्युवाच // दासी शुं बोलती हवी; लोक // किमर्थदहसिदुःखंशंसमेतव / कारणं॥दासिवचामाकर्ण्यवाहवाक्यंसडांगव // 27 // टीका-हे राजन् तमेशा कारण माटे दहन थाओ ते मने संभळावो,एवां दासीनां वचन सांभळीने, डांगव बोलेछे. 27 | For Private and Personal Use Only