________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग. लोका। तस्ययझेमहासिद्धानगानागाश्वचारणा : देवर्षयश्चदेवाश्चअप्सरोभिः अ.१ / समागताः॥११॥ ॥टीका॥ ते यज्ञने विशे मोटा मोटा सिद्ध गणो,देव,रुषि, गांधर्व, अप्सरा सहित श्रावता हवा. // 11 // ॥श्लोक // परासरसूतोव्यासःप्राझोबुद्धिमतांननु॥ जन्मेजयस्याशक्षार्थस्थितः सिष्यैःसमंततः // 12 // ॥टीका॥ ते समयने बिशे, पराशर मुनिना सुत हेवा, प्राज्ञ, गुणवान व्यास मुनि जन्मेजयने शिक्षा करवाने अर्थे शिश्यो ए सहवर्तमान प्राविने बिराजता हवा. // 12 // लोक॥ यज्ञातेऽवनृथस्नातंपांनुवंशधरंनृप // प्रत्युवाचसभामध्यव्यासोविनय कोविदः // 13 // ॥टीका॥ पांमूवंशने विशे उत्पन्न थयेलो एवो जे जन्मेजय तेतो यज्ञ करि रहिने अवभ्रत स्नान करवाना समयमा प्रावि पोच्या हेवा जे व्यास मुनि तेतो सभाना मध्ये राजा प्रत्ये बोलता हवा.॥१३॥ ___श्लोक। व्यासउवाच॥ श्रणुजन्मजयभूपहतामिथ्याचपन्नगाः दंशितस्तक्षको नापि,पितातवमहाबलः // 14 // ॥टीका॥ व्यास शुं बोलता हवा ; हे जन्मेजय नुप | / कढुं ते तुं सांभळ; सर्व पन्नग मात्रने, तें मिथ्या होम्या,तारा बळवान पिताने तो,। 2 For Private and Personal Use Only