________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir ॥श्रा. . ॥अथश्रीडांगवोपाख्यानंलिख्यते.॥ ॥श्लोक॥ जयतियदुकूलतिलक : श्रीराधाहृदयवल्लभोकृष्णः सेवितोसुरगणै : सदाचभक्तैर्मुक्तिऽसूररिपुः पुंडरिकाक्ष : // 1 // ॥टीका॥ श्रीराधाना हृदय वल्लन, एवा, जे कृष्ण, ते सर्वोत्क्रष्टपणावडे करिने जयतीनां जय करो, अने, वलि केवा के,देवगणो ए सेव्या हेवा,अने असुरनो नाश करवावाला,कमळना सरखांछे,नेत्र ते जनांएवा श्रने यदुकुलने विशे तिलक नाम् शिरोमणी एवा हे प्रन जयतिनांज० // 1 लोक॥ नारायणंनमस्कत्यनरंचैवनरोत्तमं // देवींसरस्वतींव्यासंततोजयमुदीरयेत् // 2 // ॥टीका॥ नारायणने नमस्कार करिने, तथा च,नर जे अर्जुन अने नरोत्तम् जे भगदान तेमने, तथा स्वरस्वति जे तेने, नमस्कार करिने, व्यासना, प्रसादवडे करिने श्रोता वक्तानो जय थाश्रो. // 2 // ॥श्लोक॥ अज्ञानतिभिरांधस्यझामांजनशिलाकया॥ चक्षुरुन्मीलितंयेनतस्मैश्रीगुरवेनमः॥३॥ // टीका // अज्ञानरूपी तिमीर जे अंधारु तेनो ज्ञानवडे करिने नाश करवावालां, अने ध्यानमार्गे उन्मिलीत छे चक्षुष् ते जेनां एवा जे गुरु, तेने - करुडूं. // 3 // For Private and Personal Use Only