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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir थइ जायछे. 15 ॥इलोक। युधिष्टीरोऽर्जूनश्चैवसहदेवादयश्चयेागतास्त्वरिताःसर्वेपत्वभीमोसडां गवः ॥१६॥॥टिका- अने वळी अजूंन यूधिष्टिर सहदेव तेयपण तेमना भेगा थया थ का सर्व मंडळ विचार करीने भिम अने डांगव ज्यां उभा छे त्यां नव दशाए पासे आवे. 16 ॥श्लोक॥ नमस्कृत्यंचतेसर्वेभीमसेनमहाबलं प्रोचुस्तत्रिदशाराजन्भयविहवल लोचना: // 17 // टिका-महा बळवान् एबा जे नीमसेन तेने सर्व मंडळी नमस्कार / करीने, भयवडे करीने विहवळ छे, लोचन ते जेमनां, एवा जे देवो तेतो भीमनी स्तुति करे छे. 17 देवाउचुः॥ हवे देवो केवी रिते भीमनी स्तुति करेछे ; ॥श्लोक॥ धन्यधन्यमहा बाहोपांडुपुत्र महाबल ॥रक्षितोक्षत्रिधर्मश्चडांगवोशरणेगतः॥१८॥ टिका-धन्य धन्य हे पांडूना पुत्र नीमसेन तमने धन्य छे, डांगवने शरणे राख्यो ए पण तमारंसिद्ध छे, तमे जेवो क्षत्रिनो धर्म राख्यो, एवो कोइए राख्यो नथी. 18 ॥श्लोक॥ पाहिपाहिमहाराजप्रष्ठंधारयसंगरे॥ वानरारिगदानांचभारंसहमहा वलात् // 19 // टिका-हे बलवान् वीर हवे तो क्षमा करो क्षमा करो, श्रा संग्रामने For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
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Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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