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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir तट्टीकायां रैक्व कुलोद्भव जयशंकर सुत गंगाधरविरचितायां गामोटगामिनी व्याख्या यांद्वादशोऽध्याय // 12 // ॥श्रीकृष्ण उवाच ॥श्री कृष्ण भगवान हनुमान प्रति बोलता हवा ॥श्लोक॥ एह्या गच्छमहाबुद्धे वायुपुत्रमहाबल // नास्तिमेवल्लनोकोपि॥ त्वत्समोवानराधिप // 1 // ॥टिका॥ हे महावुद्ध वायुपुत्र बळवान, तमारा सरखो कोइ मने वहालो नथी। माटे अहियां आवो. ॥श्लोक॥ वारयत्वंगदारीणीशीघ्रंयत्नश्चक्रियतां॥त्वरितोह्यागतोपार्श्वक्रश्नस्य भीमबांधवः // 2 // टिका एवं कहेतांमांज भीमबंधु जे हनमान ते कृष्णनी आज्ञा मा। गे छे, कृश्न कहेछे के भाइ तुं उतावळो आ शत्रु रुपीणी जे गदा तेने निवारण कर.२॥ ॥श्लोक॥ हनुमांस्तुनमस्कारंक्रतबांसात्वतांपतिद्रूतोशीघ्रंतदाकाशेजग्राहचगदा रिणी॥३॥ टिका. वळी कृष्ण कहे के दे हनुमंत तने नमस्कार करुयूं, एटलूं कहेतां मांज हनुमंत शीघ्र आकाशमां कुद्या, अने उतावळा शत्रु रुपिणी गदाने झाले. ॥श्लोक। गदावामनग्रहीतादक्षिणेनसुदर्शनं॥वार्धतंचशरीरंतुवानरेणचभारत॥ 4 // टिका. हे भारत ते हनुमानजी जे तेमणे तो वाम हाथे गदाने झाली, अने दक्षि ॥श्लोक // अश्वत्थामाबलियासोहनुमंताविभिषण॥कप:परशुरामश्चसौतेचिरनिवीनः॥१॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
Author
Publisher
Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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