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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandie भारत // ३४॥टिका. हे जनमेजय, हे भारतं, ते समय केवं आश्चर्य कारक थयुं. के गदा चक्र उपर पडे ने चक्र गदा उपर पडे, ए रीतेवधतां वधतां सूर्य मंडळ सुधी। चढी जायछे. // 34 // ॥श्लोक ॥अग्निदृष्टिःह्यभूत्तावत्सर्वेषांपश्यतांनृणांपश्यतिपांडवानीकानयो / | कौरवानृप॥३५ टीका. सर्व नरोना देखतां ते समय अग्नीनी दृष्टी होती हवी. तेतो पां| डवोनुं सैन्य, यादवो अने कौरवो देखेछे. ॥श्लोक ॥भीताश्चदेवताःसर्वा:पिनाकिंशरणंगताःउचुस्तेनयभीताश्चईवाद्याः य क्षगुह्यकाः॥३६॥ टिका. ते समय तो सर्व देव मात्र बिता थका भय पामिने इंद्रय क्ष गुह्यक पिनाकी जे महादेव तेने शरण जश्ने वाणी बोले. ॥श्लोक // उचुःनमस्तेमहादेवनमस्तेपार्वतीपते॥किंभविष्यतिदेवेशप्रलयःकिंन विष्यति // 37 // हे महाराज हे महादेव हेपार्वतिपते हेदेवेश दवे शुं थशे, आते प्रलय | कहेवाय के शुंए अमने समजावो.३७ / महादेवव्याच।महादेव देवोने शुं संभळावताहवा.।श्लोक॥प्रलयोनास्तिभोदेवाःनर्व। शीशापकारणात् ॥श्निपांडवसंग्रामोजातोवैजनमेजय॥३८॥ टिका हे जनमेजय ते / समय महादेवजी देवोने कहछे के भोइति संबोधने हे देवो आ कांइ प्रलय नथी आ For Private and Personal Use Only
SR No.020172
Book TitleDangvopakhyanam
Original Sutra AuthorN/A
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Publication Year
Total Pages132
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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