________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir मां बेठो थको जूवेडे, अने पोतानो भाइ जे भिम तेना दुःखथी संतप्त थयो थको गां| जिव धनुशनो टंकार करेछ.३१ ॥श्लोक ॥देवदत्तंनिनादोचैःहयघोषेननिस्वनैः भीतश्चदेवकीपुत्रोसशाडचापमा ददे // 32 // टिका. अटलूज नही पण अर्जन तेतो देवदत्तनामा शंखना नाद वडे क रीने त्रैणे लोकने निती पमाडेछे, अनेए भिती वडे करीने देवकीना पुत्र जे कृश्न ते |तो, शाग्डनामा धनुष्य चडावी देछे. ॥श्लोक // पंचजन्यनिनादेनरथारोहोरणेगतः॥ ननौतोक्रोधसंतप्तौतिटेतिवा क्यमाहतुः॥३३॥ टीका. पंच जन्यशंखनो नाद करता हवा, अने रथमां बिराजेला एवा ऋष्ण ने अर्जुन ते तो, क्रोधे त्राकुळ व्याकुळ थया थका एक विजाने तिरस्का रनां वचन बोलेछे. 33 ॥श्लोक ॥आकाशेतत्रईद्रश्चपितामहोथशंकरः अन्येचखेचरायक्षाःपश्यतिकिंभ विष्यति॥३४॥॥ टीका- एवं अर्जुन अने ऋश्ननुं महा युद्ध जोश्ने ईद्र, ब्रह्मा, शंकर,अने बिजा अन्य यक्ष, अने ग्रहो जोता थका वाणी बोलेने के, रे दैव हवे किंभवि यति आगळ शुं थशे ए कांइ कहि शकातुं नथी. 34 इतिश्रीमहाभारतेडांगोपाख्याने क्रश्नार्जून युद्ध संभवोनाम एकादशोऽध्यायः / For Private and Personal Use Only