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चतुर्थदादागुरु देव पूजा
ॐ ह्रीँ श्री अर्ह परमपुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय अकबर सम्राट प्रतियोधकाय युगप्रधान श्रीजिनचन्द्रसूरीश्वराय
धूपं यजामहे स्वाहा।
५---दीपक पूजा।
दृहाद्रव्य भाव दीपक गुरु, पूजो दीपक धार । लोकालोक विलोककर, पावो सुखभण्डार ।।
(कुबजाने जादु डारा)
राग-सोरठा जिनचन्द्र जगत सुखदाना रे।
गुरु दीपक ज्योति प्रधाना । विबुधनके मुखतें गुरु महिमा, सम्राट अकबर जाना। मंत्री कर्मचन्द्र वच्छावत, आमन्त्रण फरमाना रे गुरु०॥१॥ खंभायत अतिदूर, निकट में चौमासे का आना। पदचारी हैं सद्गुरु तो भी, होगा धर्म महानारे गुरु० ॥२॥
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