SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 97
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह ___ एक समस्या मक्खी लाते, त्रिभुवन कांपा भारी। चित्रलिखा वह जलकुंडेमें, बुध बोला बलिहारीरे सुर० ॥३॥ बीकानेर सुपाश्य प्रतिष्ठा, महिमराजको दीक्षा । पटधारी जो आगे होंगे. पा सद्गुरु से शिक्षारे सुर० ॥४॥ श्रीनाडोल नगर में सद्गुरु, मुगल सैन्य भयभागे। सद्गुरुभ्यान अभयपददाता जीवन ज्योति जागेरे सुर०॥५॥ मेवातादिक विकट देशमें, होकर सदगुरु भावे । हस्तीनापुर सौरिपुरादिक, भेटे पुण्य प्रभावे रे सुर० १६॥ पुर जालोरे अरु पाटण में, गुरु शास्त्रारथ जीते । राजनगरमें खरतर दृढ़ता, करें परमगुरु प्रीतेरे सुर० ॥७॥ चार दिशाके महासंघ सह, गुरु सिद्धाचल भेटे। निजपर दर्शन शुद्धि करते, कुमति कुवासना मेटे रे सुर०॥८॥ ___सतत विहारी सदगुरु चउविध, संघ महोदय करते। पंचमहाव्रत अरु बारहवत, अभयभाव नित भरतेरे सुर०॥९। __सदगुरु सुखसागर भगवाना, गुरु 'हरि पूज्य प्रधाना। गुरु सौरभभर धूप सु पूजा, करो भविक गुणवानारे सुर०॥१०॥ श्लोकदिल्हीश्वराकबरबोधि-युगप्रधान, दादाभिधान सुगुरोर्जिनचन्द्रसूरेः। पादारविन्दयुगलं कलयाभिरामं सद्गन्धिधूप करणेन सदा यजेऽहम् । For Private And Personal Use Only
SR No.020167
Book TitleDada Gurudevo ki Char Pujaye
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarisagarsuri
PublisherJain Shwetambar Upashray Committee
Publication Year
Total Pages115
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy