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विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा-"कनेर"।
628-388% E3 ** ce कनेरका वर्णन और उसकी
विष-शान्तिके उपाय ।
Swima नेरका पेड़ भारतमें मशहूर है । प्रायःसभी बगीचों और पहाड़ों पर कनेरके वृक्ष होते हैं। इसकी चार क़िस्म हैं
(१) सफेद, (२) लाल,
(३) गुलाबी, (४) पीली । दवाओंके काममें सफ़ेद कनेर ज़ियादा आती है। इसकी जड़में विष होता है । इस वृक्षके पत्ते लम्बे-लम्बे होते हैं । फूलोंमें गन्ध नहीं होती । जिस पेड़में सफेद फूल लगते हैं, वह सफेद और जिसमें लाल फूल लगते हैं, वह लाल कनेर कहाती है। इसी तरह गुलाबी
और पीलीको समझ लो। ___ सफ़ेद कनेरसे प्रमेह, कृमि, कोढ़, व्रण, बवासीर, सूजन और रक्त-विकार आदि रोग नाश होते हैं। यह खानेमें विष है और आँखोंके रोगोंके लिये हितकर है। इससे उपदंशके घाव, विष, विस्फोट, खुजली, कफ और ज्वर भी नाश हो जाते हैं। सफेद कनेर तीखी, कड़वी, कसैली, तेजस्वी, ग्राहक और उष्णवीर्य होती है। कहते हैं, यह घोड़ेके प्राणोंको नाश कर देती है। ___ लाल कनेर शोधक, तीखी और खाने में कड़वी है। इसके लेपसे कोढ़ नाश हो जाता है।
पीलापन लिये सुर्ख कनेर सिरका दर्द, कफ और वायुको नाश करती है।
कनेरके विषसे हानि ।। कनेरके खानेसे गले और आमाशयमें जलन होती है, मुंह लाल हो जाता है, पेशाब बन्द हो जाता है, जीभ सूज जाती है, पेटमें गुड़
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