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विष-उपविषों की विशेष चिकित्सा-"आक"। ५७ दर्द भी बहुत होता है। इसका दूध घावोंपर दोपहर पीछे लगाना चाहिये । सवेरे ही, चढ़ते दिनमें, लगानेसे चढ़ता और हानि करता है; पर ढलते दिन में लगानेसे लाभ करता है।।
_आकके विषकी शान्तिके उपाय ।
आककी शान्ति ढाकसे होती है। ढाक या पलाशके वृक्ष जंगलमें बहुत होते हैं।
(१) अगर प्राकका दूध लगानेसे घाव बिगड़ गया हो, तो ढाकका काढ़ा बनाकर, उससे घावको धोओ । साथ ही ढाककी सूखी छाल पीसकर, घावोंपर बुरको। ... (२) अगर आकका दूध, पत्ते या जड़ आदि बेकायदे खाये गये हों और उनसे तकलीफ हो, तो ढाकका काढ़ा पिलाना चाहिये । ODeeDEODEDEDEO
आकके उपयोगी नुसखे। ODE (१) आककी जड़की छाल बकरीके दूधमें घिसकर, मृगीवालेकी नाकमें दो-चार बूँद टपकानेसे मृगी जाती रहती है।
(२) पीले आकके पत्तोंपर सेंधानोन लगाकर, पुटपाटकी रीतिसे भस्म कर लो। इसमेंसे १ माशे दवा, दहीके पानीके साथ, खानेसे सीहोदर रोग नाश होता है।
(३) मदारकी लकड़ीकी राख दो तोले और मिश्री दो तोलेदोनोंको पीसकर रख लो। इसमेंसे छ-छै माशे दवा, सवेरे-शाम, खानेसे गरमी रोग आठ दिनमें आराम होता है।।
(४) आककी जड़ १७ माशे और कालीमिर्च चार तोले- इन दोनोंको पीसकर और गुड़में खरल करके, मटर-समान गोली बना लो । सवेरे-शाम एक-एक गोली खानेसे उपदंश या गरमी आराम हो जाती है।
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