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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( १८ ) और क्षय-रोगको नाश करती है । अनुपान और विधि-स्‍ हमारा बंगेश्वर सेवन करनेसे २० प्रकारके प्रमेह नाश होते हैं इसके सेवन करनेवालोंका वीर्य सुपने में भी नहीं गिर सक ज़ियादा क्या लिखें, स्त्री वश करनेवाली और कामिनियोंका घ नाश करनेवाली इसके समान दूसरी चीज़ नहीं है । इसे बेर सेवन कीजिये । यह हमने स्वयं सेवन किया है और अनेक धनी• लोगोंको खिलाया है । इसीलिये इतने जोरसे लिखा है । दाम २ और ८) रुपया तोला । शिर-शूलान्तक चूर्ण | बहुत लिखना व्यर्थ है, आपने आज तक सिरका दर्द नाश व वाली ऐसी जादू के समान चमत्कारी दवा देखी न होगी । सिर में दर्द हो, आप एक पुड़िया फाँककर घड़ी देख लें। ठीक 1. मिनटमें आपका सिर दर्द काफूर हो जायगा । आप माः एक शीशी अवश्य पास रखिये । न जाने किस समय सिर में द खड़ा हो | इस दवा में एक और भी गुण है - वह यह कि आपके में दर्द हो या हल्का-सा ज्वर हो, आप एक मात्रा खाकर सो फौरन पसीने आकर शरीर हल्का हो जावेगा। दाम ८ मा - शीशीका १) और चार मात्राका || ) दवा मिलने का पता हरिदास एण्ड कम्पनी. ( कलकत्ते वाली) गंगा - भवन, मथुरा सिटं For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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