________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
( १३ ) उपकार होता है । सन्निपात या हैजेमें जब शरीर शीतल और नाड़ी गति-हीन हो जाती है, तब इस तेलमें एक और तेल मिलाकर मालिश करनेसे शरीर गरम हो जाता और नाड़ी चलने लगती है । गृहस्थ
और वैद्य लोगोंको इसे अवश्य पास रखना चाहिये । दाम आध'पावका २)
चन्दनादि तैल। यह तैल तासीरमें शीतल है। इसकी मालिश करनेसे सिरकी गर्मी, हाथ-पैर और आँखोंकी जलन आदि निश्चय ही आराम हो जाती हैं । बदनमें तरी व ताक़त आती है। धातुक्षीणवाले यदि इसे खानेकी दवाके साथ, शरीरमें मालिश कराकर स्नान किया करें, तो अठगुणा फायदा हो । दाम आध पावका २)
कामिनी-रञ्जन तैल । - इस तैलका नाम “कामिनी-रञ्जन तैल" इस वास्ते रक्खा गया है, कि यह तैल दिल्लीके बादशाह जहाँगीरका मन चुरानेवाली अलौकिक सुन्दरी-नूरजहाँ बेगमको बहुत ही प्यारा था। ____ चार वर्ष तक इसके गुणोंकी परीक्षा करके हमने इस अपूर्व तैलको प्रकाशित किया है। कामिनी-रञ्जन तैल मस्तिष्क ( Brain) शीतल करनेवाली औषधियोंके योगसे तैयार होता है। इसकी मीठी सुगन्धसे दिमाग मवत्तर हो जाता है। इसकी हल्की खुशबू चटपट नहीं उड़ जाती, बल्कि कई दिनों तक ठहरती है । सदा इस तैलके व्यवहार करनेसे बाल भौंरेके समान काले और चिकने बने रहते हैं; असमयमें ही नहीं पकते। औरतोंके बाल कमर तक फर्राने लगते हैं और उनकी असली सुन्दरताको दूना करते हैं । बालोंको बढ़ाने, चिकना
और काला करनेके सिवा, इस तैलके लगातार लगानेसे शिरकी कमजोरी, आँखोंके सामने अंधेरा आना, चक्कर आना, माथा घूमना, सिर-दर्द, आँखोंकी कमजोरी, बातोंका याद न रहना आदि दिमाग़
For Private and Personal Use Only