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राजयक्ष्मा और उरःक्षतकी चिकित्सा |
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इस तरह २ महीने बसन्त - मालती - यह ख़ास तौर से बनाई हुई बसन्तमालती - सेवन करानेसे कैसा भी क्षय ज्वर क्यों न हो, अवश्य लाभ होगा। इतना ही नहीं, रोग आराम होकर, एक बार फिर नई जवानी आ जावेगी ।
(२५) कुमुदेश्वर रस भी क्षय रोगमें बड़ा काम करता है । उसके सेवन से वह रोगी, जिसकी आँखें सफेद हो गई हैं और जो नित्यप्रति क्षीण होता है, आराम हो जाता है । हमने कुमुदेश्वर रसकी एक विधि पहले लिखी है, यहाँ हम एक और कुमुदेश्वर रस लिखते हैं, जो बहुत ही जल्दी तैयार होता और क्षयको मार भगाता है । ग़रीबों के लिये अच्छी चीज़ है:--
शुद्ध पारा
शुद्ध गन्धक
अभ्रक भस्म हज़ार पुढी
शुद्ध शिंगरफ
शुद्ध मैनशिल
लोह भस्म
इन सबको समान समान लेकर, खरल में डाल, २ घण्टे तक खरल करो। फिर इसमें शतावर के स्वरसकी २१ भावनाएँ देकर सुखा लो । बस, कुमुदेश्वर रस तैयार है ।
कुमुदेश्वर रस
मिश्री
कालीमिर्च का चूर्ण
शहद
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नोट-लोह भस्म वह लेना, जो मैनशिल द्वारा फूँ की गई हो और ५० आँचकी हो, अगर ताज़ा शतावर न मिले, तो शतावरका काढ़ा बनाकर भावना देना ।
सेवन विधि |
३ रत्ती
२ माशे
५ नगका
४ माशे
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