________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
विषय पृष्ठांक विषय
पृष्ठांक पहला अध्याय। दूषी विष क्यों कुपित होता है ? १५ विष-वर्णन
दूषी विषकी साध्यासाध्यता १५ विषकी उत्पत्ति
कृत्रिम विष भी दूषी विष विषके मुख्य दो भेद
गरविषके लक्षण जंगम विषके रहने के स्थान ४
गरविषके काम जंगम विषके सामान्य कार्य ६ स्थावर विषके कार्य स्थावर विषके रहने के स्थान ६ स्थावर विषके सात वेग १७ कन्द-विष
। दूसरा अध्याय । कन्द-विषोंकी पहचान
सर्व विष चिकित्सामें याद कन्द-विषोंके उपद्रव
रखने योग्य बातें ... १६ अाजकल काममें आनेवाले कन्दविष । अशुद्ध विष हानिकारक
तीसरा अध्याय। विषमात्रके दश गुण
स्थावर विषोंकी सामान्य दशगुणोंके कार्य
चिकित्सा ............ दूषी विषके लक्षण वेगानुसार चिकित्सा दूषी विष क्या मृत्युकारक नहीं होता१२ स्थावर विष नाशक नुसन दूषी विषकी निरुक्ति १२ अमृताख्य घृत स्थान विशेषसे दूषी विषके लक्षण १३ महासुगन्धि अगद . दूषी विषके प्रकोपका समय १४ मृत सञ्जीवनी प्रकुपित दूषी विषके पूर्वरूप १४ विषघ्न यवागू प्रकुपित दूषी विषके रूप १४ अजेय घृत दूषी विषके भेदोंसे विकार-भेद १४ महासुगन्ध हस्ती अगद
For Private and Personal Use Only