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नर-नारीकी जननेन्द्रियोंका वर्णन । ५३१
शुक्र या वीर्य । शुक्र या वीर्य दूधके-से रंगका गाढ़ा-गाढ़ा लसदार पदार्थ होता है । उसमें एक तरहकी गन्ध आया करती है । अगर वह कपड़ेपर लग जाता है, तो वहाँ हलके पीले रंगका दाग़ हो जाता है। अगर यही कपड़ा आगके सामने रखा जाता या तपाया जाता है, तो उस दाग़का रंग गहरा हो जाता है। वीर्यसे तर कपड़ा सूखनेपर सख्त हो जाता है। ___ वीर्य पानीसे भारी होता है। एक बार मैथुन करनेसे आधेसे सवा तोले तक वीर्य निकलता है। वीर्यके सौ भागोंमें ६० भाग जल, १ भाग सोडियम नमक, १ भाग दूसरी तरहके नमकोंका, ३ भाग खटिक प्रभृति पदार्थोंका और पाँच भाग एक तरहके सेलोंके होते हैं, जिन्हें शुक्राणु या शुक्रकीट कहते हैं।
शुक्राणु या शुक्रकीट । अगर कोई ताजा वीर्यको खुर्दबीन शीशेमें देखे, तो उसे उसमें बड़ी तेजीसे दौड़ते हुए कीड़े दीखेंगे। इन्हींको शुक्राणु, शुक्रकीट या सेल कहते हैं। सन्तान इन्हींसे होती है। जिनके शुक्रमें शुक्रकीट नहीं होते, जिनकी शुक्र-ग्रन्थियोंसे ये नहीं बनते, वे पुरुष सन्तान पैदा कर नहीं सकते। हाँ, बिना इनके कदाचित मैथुन कर सकते हैं । एक बारके निकले हुए वीर्यमें ये कीड़े एक करोड़ अस्सी लाखसे लगाकर बाईस करोड़ साठ लाख तक होते हैं। अगर आप वीर्यको एक काँचके गिलासमें रख दें, तो कुछ देरमें दो तहें हो जायेगी। ऊपरकी तह पतली और दहीके तोड़ जैसी होगी, पर नीचेकी गाढ़ी
और दूधके रंगकी होगी। सारे शुक्रकीट नीचे बैठ जाते हैं, इसीसे नीचेकी तह गाढ़ी होती है । नीचेकी तह जितनी ही गहरी और गाढ़ी होगी, उसमें उतने ही शुक्रकीट अधिक होंगे।
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