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चिकित्सा-चन्द्रोदय । मशककी तरह आड़ा हो या पेट हवासे फूला हो, तो पेटको चीरकर, आँतें निकालकर, शिथिल हुए गर्भको बाहर खींच ले । जो कूले या साथल अटके हों, तो कूलोंको काटकर निकाल ले । ___ मरे हुए गर्भके जिस-जिस अङ्गको वैद्य मथे या छेदे या चीरे, उन्हें अच्छी तरहसे काट-काटकर बाहर निकाल ले। उनका कोई भी अंश भीतर न रहने दे। काटते और निकालते समय एवं पीछे भी चतुराईसे स्त्रीकी रक्षा करे।
गर्भ निकल आवे, पर अपरा या जेर अथवा अोलनाल न निकले, तो उसे काले साँपकी काँचलीकी धूनी देकर या उधर लिखे हुए लेप वगैरः लगाकर निकाल ले। अगर इस तरह न निकले, तो हाथमें तेल लगाकर हाथसे निकाल ले । पसवाड़े मलनेसे भी जेर निकल
आती है। ऐसे समयमें दाई स्त्रीको हिलावे, उसके कन्धों और पिंडलियोंको मले और योनिमें खूब तेल लगावे। - अपरा या अोलनाल न निकलनेसे हानि ।
बच्चा हो जानेपर अगर जेर या अम्बर न निकले, तो वह अम्बर दर्द चलाती, पेट फुलाती और अग्निको मन्दी करती है।
जेर निकालनेकी तरकीबें । अँगुलीमें बाल बाँधकर, उससे कंठ घिसनेसे अम्बर गिर जाती है ।
साँपकी काँचली, कड़वी तूम्बी, कड़वी तोरई और सरसों - इन्हें एकत्र पीसकर और सरसोंके तेलमें मिलाकर, योनिके चारों ओर 'धूनी देनेसे अम्बर गिर जाती है ।
प्रसताके हाथ और पाँवके तलवोंपर कलिहारीकी जड़का कल्क लेप करनेसे जेर गिर जाती है।
चतुर दाई अपने हाथकी अँगुलियोंके नख काटकर, हाथमें घी लगाकर, धीरे-धीरे हाथको योनिमें डालकर अम्बरको निकाल ले।
जब मरा हुआ गर्भ और ओलनाल दोनों निकल आवें तब,
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