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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-मूढगर्भ-चिकित्सा । ४६३ इस तरह सवेरे-शाम कई दिन तक ताजा बत्ती रखनेसे गर्भ गिर जाता है । परीक्षित है।
(४१) अरण्डकी कली २० माशे, एलुआ ४ माशे और खिरनीके बीजोंकी गिरी ४ माशे-इन सबको पानीके साथ महीन पीसकर बत्ती बना लो और गर्भाशयमें रखो । सवेरे-शाम ताजा बत्ती रखनेसे १३ दिनमें गर्भ गिर जाता है।
(४२) अखरोटकी छाल, बिनौलेकी गिरी, मूलीके बीज, गाजरके बीज, सोयेक बीज और कलौंजी-इनको बराबर-बराबर लेकर जौकुट कर लो। फिर इनके वज़नसे दूना पुराना गुड़ ले लो । सबको मिलाकर हाँडीमें पानीके साथ औटा लो। जब तीसरा भाग पानी रह जाय, उतारकर पी लो । इस नुसनेसे गर्भ गिर जाता है । परीक्षित है।
मूढगर्भ-चिकित्सा।
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मूढगर्भके लक्षण । जो गर्भ योनिके मुंहपर आकर अड़ जाता है, उसे 'मूढगर्भ" is कहते हैं । "भावप्रकाश"में लिखा है:
मूढः करोति पवनः खलु मूढगर्भम् ।
शूलंच योनि जठरादिषु मूत्रसंगम् ॥ अपने कारणोंसे कुपित हुई--कुण्ठित चालवाली वायु, गर्भाशयमें जाकर, गर्भकी गति या चालको रोक देती है, साथ ही योनि और पेटमें शूल चलाती और पेशाबको बन्द कर देती है।
खुलासा यह कि, वायुके कुपित होनेकी वजहसे गर्भ योनिके
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