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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा--गर्भ गिराने के उपाय। ४८६. (E) फिटकरी और बाँसकी छाल--इन दोनोंको औटाकर काढ़ा करलो । फिर इसमेंसे ३२ माशे काढ़ा नित्य सात दिन तक पीनेसे गर्भ गिर जाता है। (१०) हज़ार-इस्पन्दके बीज खाने और बिलसाँके तेलमें कपड़ा भिगोकर योनिमें रखनेसे गर्भ गिर जाता है। (११) हकीम लोग कहते हैं, अगर गर्भिणी बखुरमरियमपर पाँव रख दे, तो गर्भ गिर जाय । (१२) इन्द्रायणके पत्तोंका स्वरस निकालकर, गर्भाशयमें पिचकारी देनेसे और इसी स्वरसमें एक ऊनका टुकड़ा भिगोकर योनिमें रखनेसे गर्भ गिर जाता है । परीक्षित है । (१३ ) गावजुबाँकी जड़का स्वरस पिचकारी द्वारा गर्भाशयमें पहुँचाने या इसी स्वरसमें कपड़ेकी बत्ती भिगोकर गर्भाशयमें रखनेसे गर्भ गिर जाता है। (१४) दश माशे चूका-घास सिलपर पीसकर खानेसे फौरन ही गर्भ गिरता है। (१५) साढे दश माशे हींग और साढ़े दश माशे सूखी तुलसीइन दोनोंको मिलाकर, सवेरे-शाम, "देवदारु" के काढ़ेके साथ पीनेसे फौरन गर्भ गिरता है । यह एक खूराक दवा है। (१६) नौसादर ३५ माशे और छरीला १०॥ माशे लाकर रख लो। पहले छरीलेको पीसकर बहुत थोड़े पानीमें घोल दो। ___ इसके बाद नौसादरको महीन पीसकर छरीलेके पानीमें मिला दो और छुहारेकी गुठली-समान बत्ती बनाओ। इस बत्तीको सारी रात गर्भाशयके में हमें रखो और दोनों जाँघोंको एक तकियेपर रखकर सो जाओ । इस उपायसे गर्भ गिर जायगा। __ (१७ ) साँपकी काँचलीकी धूनी योनिमें देनेसे गर्भ गिर जाता है । काले साँपकी काँचली अधिक गुणकारी है। For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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