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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-गर्भ गिरानेके उपाय । ४८७ (३) बच्चा जननेके दर्द चार दिनों तक रहें, पर बालक न हो, तब समझना चाहिये कि बच्चा पेटमें मर गया। उस दशामें गर्भिणीकी जान बचानेके लिए फौरनसे पहले गर्भ गिरा देना चाहिये। अगर मरा हुआ बच्चा स्त्रीके पेटमें देर तक रहता है, तो उसे जहर चढ़ जाता और वह मर जाती है। पेटमें मरे और जीते बच्चेकी पहचान । अगर बालक पेटमें कड़ा पत्थर-सा हो जाय, गर्भिणी करवट बदले तो वह पत्थरकी तरह इधरसे उधर गिर जाय, गर्भिणीकी नाभि पहलेकी अपेक्षा शीतल हो जाय, छाती कमजोर हो जाय, आँखोंकी सफेदीमें स्याही आ जाय अथवा नाक, कान और सिर सफेद हो जाय, पर होंठ लाल रहें, तो समझो कि बच्चा मर गया। बहुत बार देखा है, जब पेटमें बच्चा मर जाता है, तब वह हिलता नहीं--पत्थर-सा रखा रहता है, स्त्रीके हाथ-पाँव शीतल हो जाते हैं और श्वास लगातार चलने लगता है । इस दशामें गर्भ गिराकर ही गर्भिणीकी जान बचायी जा सकती है। याद रखना चाहिये, जिस तरह मरे हुए बालकके देर तक पेटमें रहनेसे स्त्रीके मर जानेका डर है, उसी तरह बच्चेके चारों ओर रहनेवाली झिल्ली, जेरनाल या अपराके देर तक पेटमें रहने से भी स्त्रीके मरनेका भय है। - नोट-यद्यपि हमने "प्रसव-विलम्ब-चिकित्सा" और "गर्भ गिरानेवाले योग" अलग-अलग शीर्षक देकर लिखे हैं; पर इन दोनों शीर्षकोंमें लिखी हुई दवाएं एक ही हैं। दोनोंसे एक ही काम निकलता है । इनके सेवनसे बच्चा जल्दी होता तथा मरा बच्चा और झिल्ली या जेरनाल निकल आते हैं। ऐसे ही अवसरोंके लिए हमने गर्भ गिरानेवाले उपाय लिखे हैं । For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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