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चिकित्सा-चन्द्रोदय। और विषम आसनपर बैठने आदि कारणोंसे असमयमें ही गिर पड़ता है।
गर्भपातके उपद्रव । - जब गर्भपात होता या गर्भ गिरता है, तब जलन होती, पसलियों में शूल चलते, पीठमें पीड़ा होती, पैर चलते यानी योनिसे खून गिरता, अफारा आता और पेशाब रुक जाता है ।
गर्भके स्थानान्तर होनेसे उपद्रव । जब गर्भ एक स्थानसे दूसरे स्थानमें जाता है, तब आमाशय और पक्काशयमें क्षोभ होता, पसलियोंमें शूल चलता, पीठमें दर्द होता, पेट फूलता, जलन होती और पेशाब बन्द हो जाता है; यानी जो उपद्रव गर्भपातके समय होते हैं, वही सब गर्भके स्थानान्तर होनेसे होते हैं।
हिदायत । अगर गर्भस्राव या गर्भपात होने लगे, तो जहाँ तक सम्भव हो, चिकित्सा द्वारा उसे रोकना चाहिये । अगर किसीको गर्भस्राव या गर्भपातका रोग ही हो, तो उसे हर महीने "गर्भ-संरक्षक दवा" देकर गर्भको गिरनेसे बचाना चाहिये । अगर गर्भ रुके नहीं-रुकनेसे गर्भिणीकी जानको खतरा हो, अथवा कष्ट होनेकी सम्भावना हो, तो उस गर्भको गर्भ गिरानेवाली दवा देकर गिरा देना चाहिये। हिकमतके ग्रन्थों में लिखा है,-"अगर गर्भवती कम उम्र हो, दर्द सहने-योग्य न हो, गर्भसे उसके मरने या किसी भारी रोगमें फँसनेकी सम्भावना हो, तो गर्भको गिरा देना ही उचित है।" जिस तरह हमने गर्भोत्पादक नुसने लिखे हैं, उसी तरह हम आगे गर्भ गिरानेवाले नुसखे भी लिखेंगे।
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