________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
४६०
चिकित्सा-चन्द्रोदय । कर दूधको पका और छान लो और पीछे मिश्री मिला दो। इस दूधको पीनेसे गर्भशूल या गर्भवतीका दर्द आराम हो जाता है।
(७) गोखरू, मुलेठी, कटेरी और पियाबाँसा,- इनको ऊपरकी विधिसे सिलपर पीसकर, दूधमें मिलाकर, औटा लो। पीछे छानकर मिश्री मिला दो और पिला दो। इस दूधसे गर्भकी वेदना शान्त हो जाती है।
(८) कसेरू, कमल और सिंघाड़े-इनको पानीके साथ पीसकर लुगदी बना लो और दूधमें औटाकर दूधको छान लो । इस दूधके पीनेसे गर्भवती सुखी हो जाती है।
(E) अगर गर्भवतीके पेटपर अफारा आ जाय, पेट फूल जाय, तो बच और लहसनको सिलपर पीसकर लुगदी बना लो। इस लुगदीको दूधमें डालकर दूधको औटा लो । जब औट जाय, उसमें हींग और काला नोन मिलाकर पिला दो। इससे अफारा मिटकर गर्भिणीको सुख होता है।
(१०) शालि धानोंकी जड़, ईखकी जड़, डाभकी जड़, काँसकी जड़ और सरपतेकी जड़,-इनको सिलपर पीसकर लुगदी बना लो और ऊपरकी विधिसे दूधमें डालकर, दूधको पका-छान लो और गर्भिणीको पिला दो। इस पंचमूलके साथ पकाये हुए दूधके पीनेसे गर्भिणीका रुका हुआ पेशाब खुल जाता है । इसके सिवा इस नुसखेसे प्यास, दाह-जलन और रक्तपित्त रोग आराम हो जाते हैं।
नोट-गर्भिणीके दाह आदि रोगोंमें वैद्यको शीतल और चिकनी क्रिया करनी चाहिये।
गर्भस्राव और गर्भपात । गर्भस्राव और गर्भपात के निदान कारण। ... गर्भावस्थामें मैथुन करने, राह चलने, हाथी या घोड़ेपर चढ़ने,
For Private and Personal Use Only