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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-नष्टार्तव। ४०१
मासिक-धर्म न होनेसे हानि । स्त्रीको महीना-महीना रजोधर्म न होनेसे नीचे लिखे रोग हो जाते हैं:
(१) गर्भाशयका भिंचना। (२) गर्भाशय और भीतरी अंगोंका सूजना ।
(३) आमाशयके रोगोंका होना । जैसे; भूख न लगना, अजीर्ण, जी मिचलाना, प्यास और आमाशयकी जलन ।
(४) दिमागी रोगोंका होना । जैसे,-मृगी, सिरदर्द, मालिखोलिया या उन्माद और फ़ालिज वगैरः।
(५) सीने या छातीके रोग होना । जैसे,-खाँसी और श्वासका तंग होना।
(६) गुर्दे और जिगरके रोग । जैसे,--जलन्धर । (७) पीठ और गर्दनका दर्द । (८) आँख, कान और नाकका दर्द । (६) एक तरहका पित्तज्वर ।
डाक्टरीसे निदान-कारण । अँगरेजीमें रजोधर्मको “ऐमेनोरिया” कहते हैं । डाक्टरी-मतसे यह तीन तरहका होता है:--
(१) जिसमें खून निकलता ही नहीं। (२) जिसमें कम या ज़ियादा खून निकलता है।
(३) जिसमें रजोधर्म तकलीफ़के साथ होता है। इसको "डिसमेनेरिया" कहते हैं।
कारण । (१) जिसमें खून आता ही नहीं, उसके कारण नीचे लिखे अनुसार हैं:
(क) बहुत चिन्ता या फिक्र करना। (ख ) चोट लगना।
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