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- चिकित्सा-चन्द्रोदय। :(५) अगर योनिमेंसे राध निकलती हो, तो नीमके पत्ते प्रभृति शोधन पदार्थो को सैंधानोनके साथ पीसकर गोली बना लेनी चाहिये। इन गोलियोंको रोज़ योनिमें रखनेसे राध निकलना बन्द हो जाता है।
(६) अगर योनिमें बदबू आती हो अथवा वह लिबलिबी हो, तो बच, अडूसा, कड़वे परवल, फूल-प्रियंगू और नीम-इनके चूर्णको योनिमें रखो। साथ ही अमलताश आदिके काढ़ेसे योनिको धोओ। पहले धोकर पीछे चूर्ण रखो। ... (७) कर्णिका नामक कफजन्य योनिरोग हो-गर्भाशयके ऊपर मांस-सा बढ़ा हो-तो आप नीम आदि शोधन पदार्थोंकी बत्ती बनाकर योनिमें रखवाओ।
- (८) गिलोय, हरड़, श्रामला और जमालगोटा,--इनका काढ़ा बनाकर, उस काढ़ेकी धारोंसे योनि धोनेसे योनिकी खुजली नाश हो जाती है। - (E) कत्था, हरड़, जायफल, नीमके पत्ते और सुपारी-इनको महीन पीसकर छान लो। पीछे इस चूर्णको मूंगके यूषमें मिलाकर सुखा लो। इस चूर्णके योनिमें डालनेसे योनि सुकड़ जाती और जलका स्राव या पानी-सा आना बन्द हो जाता है।
(१०) जीरा, कालाजीरा, पीपर, कलौंजी, सुगन्धित बच, अड़सा, सैंधानोन, जवाखार और अजवायन--इनको पीस-छानकर चूर्ण कर लो। पीछे इसे जरा सेककर, इसमें चीनी मिलाकर लड्डू बना लो ।' इन लड्डुओंको अपनी जठराग्निके बल-माफिक नित्य खानेसे योनिके सारे रोग नाश हो जाते हैं।
नोट-इस खानेकी दवाके साथ योनिमें लगानेकी दवा भी इस्तेमाल करनेसे शीघ्र ही लाभ दीखता है।
(११) चूहेके मांसको पानीके साथ हाँडीमें डालकर काढ़ा बना लो । फिर उसे छानकर, उसमें काली तिलीका तेल मिला
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