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स्त्री-रोगोंकी चिकित्सा-प्रदर रोग ।
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इस तरह, इस दूधके पीनेसे घोर-से-घोर प्रदर भी शान्त हो जाता है । यह तर. कीब सबसे अच्छी है।
(२) पके हुए गूलरके फल लाकर सुखा लो । सूखनेपर पीसकूटकर छान लो और फिर उस चूर्णमें बराबरकी मिश्री पीसकर मिला दो और किसी बर्तन में मुंह बाँधकर रख दो । यह चूर्ण, सवेरेशाम, दोनों समय, दूध या पानी के साथ, फाँकनेसे रक्तप्रदर निश्चय ही आराम हो जाता है । परीक्षित है।
(३) पके हुए केलेकी फली, दूधमें कई बार सानकर, लगातार कुछ दिन खानेसे, योनिसे खून जाना बन्द हो जाता है। परीक्षित है ।
(४) पका हुआ केला और आमलोंका स्वरस लेकर, इन दोनोंसे दूनी शक्कर भी मिला लो । इस नुसखेके कुछ दिन बराबर सेवन करनेसे प्रदर रोग निश्चय ही आराम हो जाता है । परीक्षित है।
(५) सवेरे-शाम, एक-एक पका हुआ केला छै-छै माशे घीके साथ खानेसे, आठ दिनमें ही प्रदर रोगमें लाभ दीखता है । परीक्षित है।
नोट- अगर किसीको सर्दी मालूम हो, तो इसमें चार बूंद 'शहद' भी मिला लेना चाहिये । इस नुसत्र से प्रदर और धातुरोग दोनों श्राराम हो जाते हैं ।
(६) कलेके पत्ते खूब महीन पीसकर, दूधमें खीर बनाकर, दोतीन दिन, खानेसे प्रदर रोगमें लाभ होता है । परीक्षित है।
(७) सफेद चन्दन १ तोला, खस १ तोला और कमलगट्टे की गिरी १ तोला-तीनों दवाओंको, आध सेर चाँवलके धोवनमें, खूब महीन घोट-छानकर, दो तोले पिसी हुई मिश्री मिला दो। इसे दिनमें कई बार पीनेसे योनि-द्वारा खून जाना बन्द हो जाता है । इसपर पथ्य केवल दूध-भात और मिश्री है । परीक्षित है।
(८) सवेरे-शाम, पाँच-पाँच नग ताजा गुलाबके फूल तीन-तीन माशे मिश्रीके साथ खाओ । ऊपरसे गायका दूध पीओ । चौदह
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