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बिच्छू-विष-नाशक नुसख्ने । सिरसके बीज और पीपलके चूर्णको मिलाकर, प्राकके दूधकी तीन भाव. नाएँ दो । इस दवाके लगानेसे कीड़े, साँप, मकड़ी, चूहे और बिच्छुओंका विष नष्ट हो जाता है। ___ सूचना-सिरसके बीज और पीपलोंको पीसकर चूर्ण कर लो। फिर इस चूर्णको प्राकके दूधमें डालकर हाथोंसे मसलो और दो-तीन घण्टे उसोमें पड़ा रखो । इसके बाद चूर्णको सुखा दो। यह एक भावना हुई । दूसरे दिन फिर पाकके ताज़ा दूधमें कलके सुखाये हुए चूर्णको डालकर मसलो और सुखा दो। यह दो भावना हुई। तीसरे दिन फिर ताज़ा पाकके दूधमें सुखाए हुए चूर्णको डालकर मसलो और सुखा दो । बस, ये तीन भावना हो गई। इस दवाको शीशोमें भरकर रख दो । जब किसीको साँप या बिच्छू आदि काटें तो इस दवाको अन्दाजसे लेकर, पानीके साथ मिलाकर पीस लो और डंक मारी हुई जगहपर लगा दो । ईश्वर-कृपासे अवश्य आराम होगा । कई बार इसकी परीक्षा की; हर बार इसे ठीक पाया। बड़ी अच्छी दवा है।
(४६) ढाकके बीजोंको आकके दूधमें पीसकर लेप करनेसे बिच्छूका जहर उतर जाता है । परीक्षित है।
(४७) कसौंदीके पत्ते, कुश और काँसकी जड़-इन तीनों जड़ियोंको मुखमें रखकर चबाओ और फिर जिसे बिच्छूने काटा हो उसके कानोंमें पू को । इस उपायसे बिच्छूका विष नष्ट हो जाता है। कई बार परीक्षा की है। ____नोट--हमने इस उपायके साथ जब खाने और लगानेकी दवा भी सेवन कराई, तब तो अपूर्व चमत्कार देखा। अकेले इस उपायसे भी चैन पड़ जाता है । . (४८) हुलहुलके पत्तोंका चूर्ण बिच्छूके काटे आदमीको सुंघानेसे तत्काल आराम होता है; यानी क्षणमात्रमें विष नष्ट हो जाता है।
नोट-हिन्दीमें हुलहुलको हुरहुर और सोंचली भी कहते हैं। संस्कृतमें इसे श्रादित्यभक्का कहते हैं, क्योंकि इसके फूल सूरज निकलने पर खिल जाते और अस्त होने पर सुकड़ जाते हैं। यह सूरजमुखीके नामसे बहुत मशहूर है । इसके पत्त दवाके काममें आते हैं।
(४६) मोरके पंखको घीमें मिलाकर, आगकर डालो और
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