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विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा-"कुचला"। १३५ (१) वमन-विरेचन कराकर, कुचलेके रोगीको कपूरका पानी पिलाना चाहिये, क्योंकि कपूरके पानीसे कुचलेका जहर नष्ट हो जाता है।
नोट-डाक्टर लोग कुचलेवालेको क्लोरोफार्म सुंघाकर या क्लोरल हायडट पिलाकर नशेमें रखते हैं। क्लोरल हायड्ट कुचलेके विवको नाश करता है। किसी-किसीने अफीम और कपूरकी भी राय दी है। उनकी राय है, कि नसे ढीली करनेवाली दवाएं दी जानी चाहिये ।
(२) दूधमें घी और मिश्री मिलाकर पिलानेसे कुचलेका जहर नष्ट हो जाता है।
(३) कपूर १ माशे और घो १ तोले, - दोनोंको मिलाकर पिलानेसे धतूरे वगैरका ज़हर उतर जाता है। . (४) दरियायी नारियल पानी में पीसकर पिलानेसे सब तरहके विष नष्ट हो जाते हैं।
(५) कुचलेके ज़हरवालेको फौरन ही घी पिलाने और कय करानेसे कुछ भी हानि नहीं होती । घी इस जहरमें सर्वोत्तम उपाय है।
औषधि प्रयोग । यद्यपि कुचला प्राणघातक विष है, तथापि यह अगर मात्रा और उत्तम विधिसे सेवन किया जाय, तो अनेकों रोग नाश करता है, अतः हम नीचे कुचलेके चन्द प्रयोग लिखते हैं:
(१) कुचलेको तेलमें पकाकर, उस तेलको छान लो। इस तेलकी मालिश करनेसे पीठका दर्द, वायुकी वजहसे और स्थानोंके दर्द तथा रींगन वायु वगैरः रोग आराम होते हैं। .
(२) हरड़, पीपर, कालीमिर्च, सोंठ, हींग, सेंधानोन, शुद्ध गंधक और शुद्ध कुचला,--इन सबको बराबर-बराबर लेकर पीस-कूटकर छान लो और खरल में डालकर अदरख या नीबूका रस ऊपरसे दे-देकर खूब घोटो। घुट जानेपर दो-दो रत्तीकी गोलियाँ बना लो। सवेरेशाम या जरूरतके समय एक-एक गोली खाकर, ऊपरसे गरम
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