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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा-"कुचला"। १३५ (१) वमन-विरेचन कराकर, कुचलेके रोगीको कपूरका पानी पिलाना चाहिये, क्योंकि कपूरके पानीसे कुचलेका जहर नष्ट हो जाता है। नोट-डाक्टर लोग कुचलेवालेको क्लोरोफार्म सुंघाकर या क्लोरल हायडट पिलाकर नशेमें रखते हैं। क्लोरल हायड्ट कुचलेके विवको नाश करता है। किसी-किसीने अफीम और कपूरकी भी राय दी है। उनकी राय है, कि नसे ढीली करनेवाली दवाएं दी जानी चाहिये । (२) दूधमें घी और मिश्री मिलाकर पिलानेसे कुचलेका जहर नष्ट हो जाता है। (३) कपूर १ माशे और घो १ तोले, - दोनोंको मिलाकर पिलानेसे धतूरे वगैरका ज़हर उतर जाता है। . (४) दरियायी नारियल पानी में पीसकर पिलानेसे सब तरहके विष नष्ट हो जाते हैं। (५) कुचलेके ज़हरवालेको फौरन ही घी पिलाने और कय करानेसे कुछ भी हानि नहीं होती । घी इस जहरमें सर्वोत्तम उपाय है। औषधि प्रयोग । यद्यपि कुचला प्राणघातक विष है, तथापि यह अगर मात्रा और उत्तम विधिसे सेवन किया जाय, तो अनेकों रोग नाश करता है, अतः हम नीचे कुचलेके चन्द प्रयोग लिखते हैं: (१) कुचलेको तेलमें पकाकर, उस तेलको छान लो। इस तेलकी मालिश करनेसे पीठका दर्द, वायुकी वजहसे और स्थानोंके दर्द तथा रींगन वायु वगैरः रोग आराम होते हैं। . (२) हरड़, पीपर, कालीमिर्च, सोंठ, हींग, सेंधानोन, शुद्ध गंधक और शुद्ध कुचला,--इन सबको बराबर-बराबर लेकर पीस-कूटकर छान लो और खरल में डालकर अदरख या नीबूका रस ऊपरसे दे-देकर खूब घोटो। घुट जानेपर दो-दो रत्तीकी गोलियाँ बना लो। सवेरेशाम या जरूरतके समय एक-एक गोली खाकर, ऊपरसे गरम For Private and Personal Use Only
SR No.020158
Book TitleChikitsa Chandrodaya Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHaridas
PublisherHaridas
Publication Year1937
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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