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विष-उपविषोंकी विशेष चिकित्सा-"कुचला"। १३१ और नसें खिंचती हैं । शेषमें कम्प होता और फिर मृत्यु हो जाती है। ___ कुचलेके ज़ियादा खा जानेसे सामान्यतः पाँच मिनटसे लेकर
आधे घण्टेके भीतर विषका प्रभाव दिखाई देता है। यानी इतनी देरमेंतीस मिनटमें-कुचलेका जहर चढ़ जाता है। कभी-कभी दस-बीस मिनट में ही आदमी मर जाता है। ज़ियादा-से-ज़ियादा ६ घण्टे तक कुचलेके जियादा खानेवाला जी सकता है। कुचलेके बीजोंका चूर्ण डेढ़ माशे, कुचलेका सत्त आधे गेहूँ-भर और एक्सट्रक्ट तीन-चार रत्ती खानेसे आदमी मर जाता है। ___ कुचलेकी ज़ियादा मात्रा खानेसे अधिक-से-अधिक एक या दो घण्टेमें उसका जहरी प्रभाव नजर आता है । पहले सिर और हाथपैरोंके स्नायु खिंचने लगते हैं । थोड़ी देरमें सारा बदन तनने लगता है तथा हाथ-पैर काँपते और अकड़ जाते हैं। दाँती भिंच जाती है, मुँह नहीं खुलता, मुँह सूखता है, प्यास लगती है, मैं हमें झाग आते हैं तथा मुंहपर खून जमा होता है, अतः चेहरा लाल हो आता है। इतनी हालत बिगड़ जानेपर भी, कुचला जियादा खानेवालेकी मानसिक शक्ति उतनी कमजोर नहीं होती।
"वैद्यकल्पतरु"में एक सज्जन लिखते हैं-कुचलेको अँगरेजी में "नक्स-वोमिका" कहते हैं। वैद्य लोग कुचलेको और डाक्टर लोग स्टिकेनिया और नक्सवोमिका--इन दोनोंको बनावटी दवाकी तरह काममें लाते हैं । अगर कुचला जियादा खा लिया जाता है, तो जहर चढ़ जाता है । जहरके चिह्न-सारे चिह्न-धनुर्वातके जैसे होते हैं। खानेके बाद थोड़ी देर में या एकाध घण्टेमें ज़हरका असर मालूम होता है । नसोंका खिंचना, कुचलेके जहरका मुख्य चिह्न है।
उपाय:--
(१) नसें ढीली करनेवाली दवाएँ देनी चाहियें । जैसे,--अफीम, कपूर, क्लोरोफार्म या क्लारस हाइड्रेट आदि ।
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