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चिकित्सा - चन्द्रोदय ।
है और एक दिन बीचमें देकर जोर करता है । तप चढ़ने से पहले शरीर काँपने लगता है। बुखार चढ़नेसे चार घण्टे पहले यह दवा खिलानी चाहिये । रोगीको खानेको कुछ भी न देना चाहिये | दवा खाने के ६ घंटे बाद भोजन देना चाहिये । परमात्मा चाहेगा, तो १ मात्रा में ही ज्वर जाता रहेगा ।
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(५०) दो रत्ती अफीम खाने से मुँहसे थूकके साथ खून आना बन्द होता है । ऐसा अक्सर रक्त-पित्त में होता है । उस समय अफ़ीमसे काम निकल जाता है ।
नोट - अड़सेका स्वरस ६ माशे, मिश्री ६ माशे और शहद ६ माशे—इन तीनोंको मिलाकर नित्य पीनेसे भयानक रक्त-पित्त, यक्ष्मा और खाँसी रोग आराम हो जाते हैं । परीक्षित है ।
(५१) अफ़ीम एक चने-भर फिटकरी दो चने-भर और जलाया हुआ भिलावा एक, इन तीनों को छै नीबुओंके रसमें घोटकर गोलियाँ बना लो और छाया में सुखा लो। इन गोलियोंको नीबू के जरासे रसमें घिस-घिसकर आँजनेसे फूली, फेफरा और नेत्रोंसे पानी आना, ये आँख के रोग अवश्य नाश हो जाते हैं ।
नोट --- भिलावा जलाते समय उसके धुएँ से बचना; वरना हानि होगी । अधिक बातें भिलावेके वर्णनमें देखिये |
(५२) अफीम ३ || माशे, अकरकरा ७ माशे, झाऊ के फूल १४ माशे, सामक १४ माशे और हुब्बुल्लास १४ माशे - इन सबको महीन पीसकर, बबूल के गोंदके रसमें घोटो और दो-दो माशेकी गोलियाँ बना लो। इन गोलियोंमेंसे १ गोली खानेसे १ घण्टे में दस्त बन्द हो जाते हैं ।
( ५३ ) अफीम, हींग, ज़हरमुहरा-खताई और कालीमिर्च - इन सबको समान समान लेकर, पानी के साथ पीसकर, चने-समान गोलियाँ. बना लो | नीबू के रसके साथ एक-एक गोली खानेसे संग्रहणी, बादी: और सब तरह के उदर रोग नाश हो जाते हैं ।
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